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चित्तीदार फली भेदक (मारुका विटराटा)

कीट व रोग अभिज्ञान प्रणाली

चित्तीदार फली भेदक (मारुका विटराटा) 
यह फली छेदक कीट अगेती अरहर का प्रमुख हानिकारक कीट है। फसल में पुष्पीकरण के दौरान अधिक आर्द्रता वाले क्षेत्रों में इस कीट का प्रकेप अधिक होता है। चित्तीदार फली भेदक की सूँड़ी अरहर की कलियों, फूलों व फलियों एवं पत्तियों को मिलकर गुच्छा सा बना लेती हैं और अन्दर ही अन्दर पौधे के भागों को खाती रहती हैं। ये कीट  अरहर की जल्दी पकने वाली प्रजातियों (130-140 अवधि), चौड़ी पत्त्तियां और समूहबद्व पुष्प्क्रम किस्मों के लिये अतिसंवेदनशील होते हैं। ग्रसित फूल रंगहीन भूरे होकर गिर जाते हैं। इस कीट का प्रकोप देश के विभिन्न कृषि प्रथाओं वाले सभी अरहर उत्पादक क्षेत्रों में देखा गया है। इस कीट का प्रकोप क्षेत्र लगातार बढ़ता जा रहा है। इस कीट के प्रबंधन के लिए निम्नलिखित रसायनों के प्रयोग की संस्तुति की जाती है

 

प्रबन्धन

  • अरहर की बुवाई जल्दी (15 मई से 15 जून तक) करने से इस कीट का प्रकोप कम होता है
  • यदि इन कीटों की संख्या आर्थिक क्षति स्तर से उपर पहुंचने लगे तो रासायनिक कीटनाशको का उपयोग करनी चाहिए। कीटनाशी मेथोमाइल 40% एसपी @ 1125 मि.ली./हेक्टेयर, नोवलुरॉन 05.25 % + इंडोक्साकार्ब 04.50 % एससी @ 875 मि.ली./हेक्टेयर या ब्रोफ्लानिलाइड 300 ग्राम/ली एससी @ 42-62 मि.ली./हेक्टेयर पानी के साथ मिश्रण (सूड़ियो कों मारने) में उपयोग होता है। आवश्यकतानुसार इण्डोक्साकार्ब 14.5 एस.सी. कीटनाशी (0.4 मि.ली. प्रति लीटर) या स्पाइनोसाड 45 एस.सी. कीटनाशी (0.2 मि.ली. प्रति लीटर पानी) में घोलकर प्रभावित फसल पर छिड़काव करने की संस्तुति की जाती है।
  • यदि कली बनते समय कोराजेन 18.5 एस सी (1मिली/ली.) की दर से छिड़काव कर दें तो इस कीट का निंयत्रण हो जाता है।