हरा फुदका या जैसिड (लीफ हापर)
पत्तियों के किनारे का पीले रंग का पडना, तत्पश्चात पत्तियों का मुँड़ जाना इस कीट के प्रकोप के मुख्य लक्षण हैं यह लक्षण पादप रस की कमी के कारण व कीट की जहरीली लार के पत्तियों में प्रवेश करने के उपरान्त होता है। अधिक प्रकोप की दशा में पत्तियों के किनारे मुड़ जाते हैं तथा ऐसी पत्तियाँ बाद में सूख जाती हैं। जिसके फलस्वरूप पौधों की वृद्वि रुक जाती है। यह कीट उर्द के अलावा अन्य दलहनी फसलों की उपज में भी भारी कमी करता है।
कीट प्रबन्धन
- बुवाई की तिथि में परिवर्तन करके इस कीट के प्रकोप को कम किया जा सकता है। अन्तःवर्ती फसल जैसे ज्वार, बाजरा, तिल से उर्द की फसल में इसका नियंत्रण किया जा सकता है।
- कीटनाशी जैसे डाइमेथोएट 30 ई.सी. का (1.2 मि.ली./ लीटर पानी) का छिडकाव, फोरेट 10 जी. का 15 किलोग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग लाभदायक पाया गया है।